1.मुगल काल में भू-राजस्व कितने प्रकार का था ? दो(1) केन्द्रीय / शाही (2) स्थानीय / प्रान्तीय
2• मुगल के समय भू-राजस्व हिस्सा होता था उत्पादन का
3● मुगल काल में उत्पादन एवं उपज़ पर जो कर लगता था वह कहलाता था भू-राजस्व कर
4• मुगल काल के किस ग्रंथ के अनुसार भू-राजस्व राजा द्वारादिये जाने वाले संरक्षण और न्याय व्यवस्था के बदले लिए जाने वाला कर था ? आईन-ए-अकबरी
5 • अकबर ने 1563 में सम्पूर्ण साम्राज्य को कितने परगनों में विभाजित किया था ? 18
6.परगनों में अकबर के समय सम्पूर्ण साम्राज्य को 18 परगनों में किसने विभाजित किया था ?- एतमद खां
7● अकबर के समय परगने का प्रमुख कहलाता था करोड़ी
8● अकबर के किस भू-अधिकारी ने 'नसक प्रणाली पर बल दिया था ? - शिहाबुद्दीन
9.अकबर का प्रमुख भू-माप (भू-राजस्व) अधिकारी था टोडरमल
10.• गुजरात भूमि नाप की प्रणाली का जनक है- टोडरमल
11• टोडरमल द्वारा भूमि राजस्व की आईन-ए-दहशाला पद्धति प्रारम्भ की गई थी 1580
12● भूमि माप की इकाई का प्रयोग सर्वप्रथम किस शासक ने किया था ? शेरशाह सूरी
13• शेरशाह सूरी ने भूमि माप के रूप में किसका प्रयोग किया था?- गज-ए-सिकन्दरी
14.अकबर ने गज-ए-सिकन्दरी के स्थान पर किसका प्रयोग किया था? इलाही गज
नोट: इलाही गज में 33.5 इंच और 41 अंगुल होते थे। अकबर के द्वारा करोड़ी नामक अधिकारी की नियुक्ति कब की गई थी 1573
15.नोट: दहशाला व्यवस्था-1580 में अकबर ने दहशाला नाम की नवीन कर प्रणाली प्रारम्भ की थी। इस व्यवस्था को 'टोडरमल बंदोबस्त' भी कहा जाता है। यह एक प्रकार की रैयतवाड़ी व्यवस्था थी जिसमें किसान सोधे ही प्रतिवर्ष लगान देने के लिए उत्तरदायी होते थे। इस व्यवस्था का वास्तविक प्रणेता टोडरमल था। इसके अंतर्गत अलग-अलग फसलों के पिछले दस वर्ष के उत्पादन और उसी समय के प्रचलित मूल्यों का औसत निकाल कर उस औसत का 1/3. हिस्सा राजस्व के रूप में वसूला जाता था, जो नकद रूप में होता था। इस प्रणाली में 1/10 भाग हर वर्ष वसूला जाता था,जिसे माल-ए-हरसाला कहा जाता था।
16.नोट: दहशाला प्रणाली में भूमि को चार भागों में बांटा गया है
(1) पोलज :- इसमें प्रत्येक वर्ष नियमित रूप से खेती होती थी।
( 2) परती: इस भूमि पर उर्वरता प्राप्त करने के लिए एक या दो वर्ष के अन्तराल पर खेती की जाती थी।
(3) चाचर:- इस भूमि पर तीन से चार वर्ष के अन्तराल पर खेती की जाती थी
(4) बंजर:- यह खेती योग्य भूमि नहीं थी। अत: इस पर लगान नहीं वसूला जाता था।
नोट: मुगल काल में कृषक को कितने भागों में बांटा गया था ? - तीन,
(1) खुदकाश्व
(2) पाहीकाश्त
(३) मुजारियन
17.वे किसान जो उसो गांव की भूमि पर खेती करते थे, कहलाते थे= खुदकाश्त
18● वे किसान जो दूसरे गांव में जाकर बंटाइदार के रूप में कृषि कार्य करते थे, कहलाते थे पाहीकाश्त
19.वे किसान जो खुदकाश्त कृषकों से भूमि किराए पर लेकर कृषि कार्य करते थे, कहलाते थे मुजारियन
नोट: मुगल काल में भूमि पर लिये जाने वाले कर के आधार पर भूमि को कितने भागों में बांटा गया था ? - 3
(1) खालसा भूमि
(2) जागीर भूमि
(3) यूरगाल भूमि
20● मुगल काल में शाही भूमि कहलाती थी खालसा भूमि
21● मुगल काल में प्रमुख व्यक्तियों को वेतन के रूप में दी जाने वाली भूमि कहलाती थी जागीर भूमि
22• मुगल काल में अनुदान के रूप में दी जाने वाली लगानमुक्त भूमि कहलाती थी सयूरगाल/मिल्क / मदद-ए-माश
23● मुगलकाल में क्षेत्रफल की इकाई थी बीघा
24.भू-राजस्व की कर निर्धारण प्रणाली जब्ती में कितनी श्रेणिया दो. 1) तखशीस, 2) तहसील
25.मुगल काल में प्रचलित नस्क/ कनकृत प्रणाली को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है? दानावन्दी ठेकेदारी व्यवस्था
27● मुगल काल में प्रवलित कर निर्धारण की प्रणालियों बंटाई अथवा गल्ला बख्शी को किस अन्य नाम से भी जाना जाता था?माओली
28● अकबर के शासन काल में सूर्य गणना पर आधारित इलाही संवत् का अन्य नाम था फसली संवत् मुगल काल भू-राजस्व के अतिरिक्त हिन्दुओं से कौन सा करलिया जाता था- जजिया कर
29● मुगल काल भू-राजस्व के अतिरिक्त मुसलमानों से कौन स कर लिया जाता था जकात
30● मुगल काल में आयात-निर्यात पर कितने प्रतिशत कर लिय जाता था? 3.5%
31● मुगल काल में स्वर्ण-चांदी पर कितने % कर लिया जात 277 ? - 2% मुगल काल में बंटाई प्रणाली के आधार पर राजस्व का निर्धारण कितने प्रकार का था ? तीन
(1) खेत बंटाई
(2) लंक बंटाई
(3) राशि बंटाई
32.दहशाला प्रणाली / पद्धति अकबर/टोडरमल ने कितने सूबों में लागू की थी ?- 8
(नोट: ये 8 सूबे निम्नलिखित थे- (1) मुल्तान, (2) लाहौर, (३) दिल्ली (4) आगरा (5) इलाहाबाद, (6) अवध, (7) मालवा (8) अजमेर।
33.भू-राजस्व प्रशासन के क्षेत्र में शेरशाह एवं अकबर के मध्य कौन नैरन्तर्व की कड़ी थी ?- टोडरमल
34● पहला मुगल शासक जिसने दक्षिण की भू-राजस्थ व्यवस्थ को संगठित करने का प्रयास किया शाहजहां
35.दहशाला प्रणाली ब्रिटिश काल की किस व्यवस्था से समानता रखती है- रैय्यतवाड़ी व्यवस्था
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